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701228 - Lecture Hindi - Surat

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His Divine Grace
A.C. Bhaktivedanta Swami Prabhupada



701228LE-SURAT - December 28, 1970 - 19:50 Minutes



HINDI TRANSCRIPTION

प्रभुपाद: कीर्तन...


ये हरे कृष्ण मंत्र आंदोलन जो अभी सारा दुनिया में चल रहा है, न्यू यॉर्क से शुरू हुई थी, उसके पश्चात्, सैन फ्रांसिस्को, लॉस एंजेलेस, मॉन्ट्रियल भक्त लोग, बॉस्टन, आहिस्ते आहिस्ते यूरोप में, लंदन, ऐम्बर, बर्लिन, पेरिस, ऐम्स्टर्डम, ऑस्ट्रेलिया, जापान और सारा दुनिया में ये अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावना भावित संघ, इसको ४५ केंद्र खोल गया। एक-एक केंद्र में २५-५० तक, जैसा भक्त आप लोग के सामने प्रस्तुत है, ऐसा कीर्तन और भगवत भजन, अर्चन सवेरे से ५ बजे से शुरू करके रात १० बजे तक धारावाहिक चल रहा है। ये मूवमेंट (आंदोलन) चैतन्य महाप्रभु आज से ५०० वर्ष पहले भारत में शुरू किए थे और उनकी भविष्यवाणी है —


पृथिवीते आछे यत नगरादि ग्राम
सर्वत्र प्रचार हइबे मोर नाम


उनका कहना है कि सारा दुनिया में जितना शहर और गांव है, सब जगह ये चैतन्य महाप्रभु को प्रवर्तित में संकीर्तन आंदोलन सब जगह जारी रहेगा। उसका शुरू यहाँ मात्र तो आप लोग से कहना है, जो परदेशी, जो ५ वर्ष पहले कृष्ण का नाम भी नहीं जानता था, वो लोग कितना आदर से, कितना मान्यता से ये हरे कृष्ण आंदोलन इसको प्रस्तुत करने के लिए — मैं अमेरिका, कैनेडियन, यूरोपियन — ये जो नवजवान और युवती आपके सामने ले आए।हमारा विशेष निवेदन है इस सभा में जो नौजवान उपस्थित हैं — ये जो कृष्ण आंदोलन का जो दार्शनिक विचार है, उसको अच्छी तरह से समझें। हमारे पास ज़्यादा हिन्दू हैं, हिन्दी किताबें अभी कुछ-कुछ हैं भी। बाक़ी भारतवर्ष में केंद्र स्थापित होने से हिन्दी किताब, हिन्दी पत्रिका बैक टू गॉडहेड हम लोग चालू किया है। हमारा जो बैक टू गॉडहेड पत्रिका है, वो ५००० अभी महीने में चला जाता है और वो अंग्रेज़ी में, फ्रेंच भाषा में, जर्मन भाषा, जापानी भाषा और हिन्दी भाषा में भी अभी चालू है। बहुत जल्दी बांग्ला भाषा में भी चालू रहेगा और और भाषाओं में भी प्रवर्तित करने की इच्छा है। भगवान की इच्छा होने से वह भी चालू होगा। कहने का मतलब है कि मनुष्य जीवन जो है, भगवान से क्या संपर्क है, उसको स्थापित करने के लिए — पशु जीवन में भगवान को भूल जाते हैं। यदि मनुष्य जीवन में भी भगवान को भूल गया, तो वह पशु जीवन ही रह गया — उसका मनुष्य जीवन का कोई सार्थकता कुछ है नहीं।


आहार निद्रा भय मैथुनं च
सामान्यमेतत् पशुभिर्नराणाम्
धर्मो हि तेषामधिको विशेषः
धर्मेण हीनाः पशुभिः समानाः


ये खाना पीना, बच्चा पैदा करना और दिन भर परिश्रम करना — ये सब तो पशु भी करता है। इसमें कोई बहादुरी है नहीं। बहादुरी है जो अपना संपर्क भगवान से किया है, उसको समझाना — उसका नाम है बहादुरी, उसका नाम है मनुष्य जीवन का सफलता। ऐसा पद्म पुराण में कहते हैं — ८४,००,००० योनियों में भटकते-भटकते जो मनुष्य जीवन जब मिल गया, उस समय भी अगर गोविंद का संपर्क नहीं हुआ, वो व्यर्थ गया। वास्तविक यही बात है। इसलिए हम लोग का आंदोलन का जो मुख्य उद्देश्य है — जो मनुष्य समाज में भगवान का संपर्क स्थापित किया जाए। और भगवान कहते हैं — माने मूर्ख लोग कहते हैं "भगवान कहाँ है, भगवान को दिखाओ।" तो भगवान तो मौजूद हैं। भगवान तो आपके भारतवर्ष में — भगवान श्रीकृष्ण, भगवान श्रीरामचंद्र — सब उपस्थित हैं। तो आप क्यों कहोगे कि भगवान कहाँ हैं? परदेशी कहते हैं कि कृष्णस् तु भगवान् स्वयं भगवान श्रीकृष्ण तो सब शास्त्रों का सिद्धांत है कि जो भगवान श्रीकृष्ण हैं — वो भगवान ही इधर अवतार लेकर के, अपना लीला प्रकट करके, आपको सब समझा गए। भगवद्गीता आप लोगों को दे गए। फिर आप लोग क्यों कहते हैं कि "भगवान कहाँ हैं?" "भगवान नहीं हैं," "भगवान मर गया है" — ये सब क्या बात है? इसलिए ये कृष्ण संकीर्तन आंदोलन में आप लोग सब लोग योगदान कीजिए, सहयोग कीजिए — आपका जीवन सफल होगा। और ये भगवान संपर्क स्थापित करने के लिए बहुत सरल उपाय है — केवल


हरेर्नाम हरेर्नाम
हरेर्नामैव केवलम्
कलौ नास्त्येव नास्त्येव
नास्त्येव गतिरन्यथा


सब समय कोई नियमित स्मरणे न कलः — भगवत नाम स्मरण करने के लिए ऐसे कोई नियम नहीं है। जब आपको सुविधा मिले, केवल आप


हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे


ये मंत्र, महामंत्र का जप कीजिए। देखिए — आपका जीवन कैसे सफल हो जाता है, कैसे आप से भगवान, आपका हृदय में — भगवान को कोशिश करके कोई जान नहीं सकता है।परंतु शास्त्र में कहते हैं — सेवोन्मुखे हि जिह्वादौ स्वयमेव स्फुरत्यदः जो जिह्वा को भगवत सेवा में लगा देते हैं, उसको पास भगवान उसके सामने सब उपस्थित हो जाते हैं। (अस्पष्ट) स्वयं भगवान। भगवान जैसे सूर्य — अभी रात है और जबरदस्ती सूर्य को उठा नहीं सकते, परंतु जब समय होगा, सूर्य खुद ही उदय हो जाएगा। इसी प्रकार भगवान को — जिह्वादि सेवोन्मुखे हि जिह्वादौ — जिह्वा को आप यदि भगवत सेवा में लगा दें — जिह्वा को सेवोन्मुख में लगाने का एकमात्र उपाय: जिह्वा से दो काम होता है — जिह्वा से जो खाद्य वस्तु है वो आस्वादन किया जाता है, और जिह्वा से हम लोग प्रवचन कर सकते हैं, बोल सकते हैं। तो यही जिह्वा भगवान की सेवा में लगा दीजिए:


हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे


एक तो ये सेवा है। और दूसरी सेवा है — ये जिह्वा को भगवत प्रसाद बिना कोई चीज को स्पर्श करने को नहीं दीजिए। देखिए — आपका जीवन कैसे पलट जाता है, कैसे भगवान से संपर्क बन जाता है, और कैसे आप लोग सुखी होंगे — उसको देखिए। परदेशी ये नौजवान भक्त लोग कैसा अपना भाव से भगवत कीर्तन कर रहे हैं — और ये लोग सब छोड़ दिया है। जिह्वा को मदिरा को स्पर्श नहीं करने देता। मदिरा, मांस — ये सब छूने को नहीं देता है सिगरेट को छूने को नहीं देता है। चाय भी छोड़ दिया। कॉफ़ी भी छोड़ दिया है। और जुआ खेलना भी छोड़ दिया है। देखिए — कैसा पवित्र जीवन है, और कैसा आनंद से भगवत कीर्तन कर रहे हैं। मैं चाहता हूँ — आप भी ऐसे करें।

धन्यवाद
हरे कृष्ण